सूजी का हलवा
हलवा एक ऐसा व्यंजन है जो भारत मे बहुत लोकप्रिय है।हलवा वैसे तो एक बाहरी पकवान है,परंतु भारतीय पकवानों मे वो ऐसा रच-बस गया है कि वह पूर्णरूप से भारतीय पकवान ही लगता है। हलवा एक पारंपरिक मिठाई है,जो किसी भी खास पर्व और अवसर पर बनाई जाती है। हलवे की खुशबू जहाँ त्योहारों,खुशी के पल और किसी खास मौके के होने का एहसास दिलाती है वहीं इसका स्वाद एक स्वादिष्ट अनुभूति है। यह एक ऐसा व्यंजन है, जिसे नई नवेली दुल्हन अपनी पहली रसोई के तौर पर बनाती है।हमारे व्यंजन वास्तव मे हमे हमारी संस्कृति से जोड़ते हैं।
हलवे को बनने के लिए वैसे तो बहुत सामग्री चाहिए परंतु केवल आटे,चीनी और घी की सहायता से इसे तुरंत बनाया जा सकता है वैसे
तो भारत मे विभिन्न प्रकार के हलवे बनाए जाते है। जिनमे से कुछ इस प्रकार है।
हलवे के प्रकार :
हलवा बहुत प्रकार से बनाया जाता है। वैसे तो भारत के अलग-अलग भाग मे बहुत प्रकार के हलवे लोकप्रिये हैं । जिनमे से कुछ का विवरण नीचे दिया गया है।
आटे का हलवा :
आटे का हलवा एक तुरंत बनकर तैयार होने वाला व्यंजन है। लगभग सभी प्रकार के हलवों मे चीनी, घी, दूध आदि का प्रयोग किया जाता है। यह हलवा प्रायः किसी खास अवसर पर बनाए जाने वाला व्यंजन है। हलवे को भूनने के समय उठने वाली सुगंध वास्तव मे त्योहार न होते हुए भी त्योहार का एहसास करा देती है।
सूजी का हलवा :
आटे के हलवे की तरह सूजी का हलवा भी भूनकर,चीनी, दूध, घी, हरी इलाईची और मेवा आदि डालकर बनाया जाता है।आप केसर डालकर भी इसका आनंद ले सकते हैं। सूजी का हलवा वास्तव मे बहुत ही स्वादिष्ट लगता है ।
हलवा एक ऐसा व्यंजन है जो बहुत ही कम समय मे बनकर तैयार हो जाता है।यदि आप का कुछ मीठा खाने का मन कर रहा है और आप बाहर नहीं जाना चाहते है तो आप हलवे का आनंद ले सकते हैं। गुजरात और महाराष्ट्र मे हलवे को शीरा कहा जाता है ।
बेसन का हलवा :
बेसन का हलवा एक अलग स्वाद का एहसास है,इसे भी बेसन को भूनकर,चीनी,दूध,घी,हरी इलाईची और मेवा आदि डालकर बनाया जाता है ।
ऊपर बताए तीनों हलवों को बनने का तरीका लगभग एक जैसा है, परंतु स्वाद मे तीनों एक दूसरे से भिन्न है। पहले समय मे और बहुत सी जगह मे आज भी हलवा भगवान का भोग लगाने के लिए बनाया जाता है ।
मेरे बचपन मे मेरी प्रिय माता जी द्वारा मेरे और मेरे भाई -बहन के जन्म दिवस के अवसर पर घर मे आटे का हलवा बनाया जाता था और उसे भगवान को अर्पित कर भोग लगाया जाता था ।
नवरात्रि के उत्सव के दौरान हलवे और चने का भोग ही माता रानी को अर्पित किया जाता है। गुरुद्वारे मे भी हलवा ही भगवान के प्रसाद के रूप मे वितरित किया जाता है, जिसे कड़ाह प्रसाद कहते है ।
मूंग की दाल का हलवा :
मूंग की दाल का हलवा वास्तव मे बहुत ही विशेष अवसर पर बनाए जाने वाला व्यंजन है। यह राजस्थान मे बहुत प्रचलित व्यंजन है। इसे विशेष रूप से सर्दी के मौसम मे बनाया जाता है। यह हलवा मूंग की दाल को भिगोकर उसे दरदरा पीस कर घी मे भूनकर उसमे मावा, चीनी,इलाइची से तैयार किया जाता है। इसको बनाने मे बहुत अधिक मेहनत लगती है। शादी व त्योहारों के व्यंजन मे इसका विशेष स्थान है ।
गाजर का हलवा :
गाजर का हलवा |
सर्दी के मौसम मे सबसे लोकप्रिय व्यंजन गाजर का हलवा है। उत्तर भारत मे सर्दी के समय यह लोगों के प्रिय व्यंजन मे से एक है। हलवाई की दुकान पर सर्दी के समय लोग गर्मागर्म हलवे का आनंद लेते हैं। यह हलवा सर्दियों के मौसम मे घर-घर मे बनाया जाता है। इसको कद्दूकस की गई गाजर को दूध मे पकाकर उसमे चीनी, इलाइची, देसी घी मेवा और मावा डालकर बनाया जाता है ।
लखनऊ मे जहाँ काली गाजर का हलवा बहुत प्रसिद्धि है, वहीं पुरानी दिल्ली के इलाके मे सफेद गाजर का हलवा भी काफी प्रसिद्धि है ।
गाजर का हलवा सर्दियों के मौसम मे बनने वाला व्यंजन है। इसका आनंद भी कड़ाके की सर्दी मे गरमा-गरम हलवा खाने मे आता है ।
घिया का हलवा :
गाजर के हलवे की तरह ही घिया का हलवा होता है। घिया को लौकी और दूधी आदि नामों से भी जाना जाता है। घिया के हलवे को घिया की लौज भी कहते हैं । घिया को कद्दूकस करके दूध , घी , मेवा और मावा डालकर बनाया जाता है। घिया न खाने वाले भी इसे बहुत चाव से खाते हैं। यह हलवा व्रत आदि मे भी खाया जाता है ।
आलू का हलवा :
आलू का हलवा |
करुप्पु हलवा / काला हलवा -केरल
काला हलवा |
केसरी हलवा :
वैसे तो आजकल हलवे को कई प्रकार से बनाया जाता है,परंतु ऊपर बताए गए हलवे के व्यंजन अधिक लोकप्रिय और तुरंत बनकर तैयार होने वाले हैं। जिन्हे आप जब मन चाहे बनाकर खाए और जीवन का आनंद ले ।
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