व्रत / उपवास के व्यंजन

उपवास के व्यंजन


भारत त्योहारों का देश है – इस कथन से लगभग सभी परिचित हैं। हर त्योहार पर कोई न कोई व्यंजन बनाने का यहाँ पर एक अनोखा प्रचलन है।  व्रत व उपवास हमारी धार्मिक प्रक्रिया का अटूट हिस्सा है। लगभग सभी भारतीय किसी न किसी दिन का उपवास तो करते ही हैं और पूरे दिन को बहुत ही सात्विक रूप से बिताने के लिए भारतीयों ने सात्विक व्यंजनों का भी आविष्कार कर डाला । व्रत मे बनाए जाने वाले व्यंजन जहाँ बहुत ही साधा (सिम्पल) नजर आते हैं वही यह व्यंजन स्वाद और पौष्टिकता से भरपूर हैं  और हमारे शरीर को दूषित तत्वों से मुक्त करते हैं । 

व्रत के व्यंजन बहुत ही कम मात्रा मे चुनिंदा मसालों का प्रयोग करके बनाए जाते हैं, फिर भी यह इतने स्वादिष्ट लगते है कि व्रत न करने वाला भी इन व्यंजनों को खाने के लिए व्रत कर लेता है। इससे पता चलता है मसालों से ज्यादा व्यंजन को बनाने की विधि, उसमे डलने वाली सामग्री और बनाने वाले की रुचि महत्वपूर्ण होती है। 

नवरात्रि जो वर्ष मे दो बार मनाई जाती है वास्तव मे व्रत उत्सव है। व्रत उत्सव से तात्पर्य  ऐसा उत्सव जो उपवास रखकर मनाया जाता है। इस उत्सव मे अम्बे माँ के पूजन का विधान है। भक्तगण अपनी श्रद्धा अनुसार माँ के व्रत रखते हैं और नवरात्रि का उत्सव मानते हैं । यह पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है । नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा- अर्चना के कारण इसे  नवरात्रि कहा जाता है । 

नवरात्रि एक वर्ष मे दो बार मानई जाती है जब मौसम एक ऋतु से दूसरी ऋतु मे जाता है। इस बदलाव के कारण हमारा पाचन तंत्र थोड़ा बिगड़ जाता है। ऐसे मे भोजन का हल्का, सात्विक और पौष्टिक होना बहुत जरूरी होता है। 

चलिए जानते हैं व्रत मे बनने वाले स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजनों / पकवानों के बारे में ।  

सेंधा नमक :

सेंधा नमक प्राकृतिक रूप से मिलने वाला नमक है, जिसमे आयोडिन  नहीं होता है। इसमे बहुत सारे पौषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं ।   

उपवास मे कुछ चुनिंदा मसालों का प्रयोग ही किया जाता है जो हमारी सेहत और हमारी उपवास रखने की क्षमता को बढ़ाते है। वास्तव मे उपवास हमारे शरीर को दूषित तत्वों से मुक्त करने का एक सरल उपाय है। उपवास रखने से हमारा शरीर इन दूषित तत्वों से मुक्त तो होता ही है साथ ही साथ हमारे शरीर मे एक नई ऊर्जा का संचार भी होता है । सच्ची लग्न और निष्ठा से किया हुआ उपवास हमें ईश्वर के समीप ले जाता हैं । 

आलू :

आलू फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखकर वजन कम करने में मदद कर सकता है। आलू फाइबर कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखकर हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकता है। उबले हुए आलू स्वाभाविक रूप से विटामिन और खनिजों में समृद्ध होते हैं, विशेष रूप से पोटेशियम, फास्फोरस, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन और विटामिन सी। 

आलू से बने व्यंजन :

सूखे आलू :

पहला व्यंजन आलू से बनने वाले सूखे आलू है –  घी मे जीरा, हरी मिर्च डाल कर उसमे उबले हुए आलू काटकर डाले  और ऊपर से इसमे काली मिर्च और  स्वादानुसार सेंधा नमक (रॉक साल्ट ) डालकर थोड़ा भून लें। यह आलू खाने मे बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं। दही के साथ यह आलू बहुत ही  लाजवाब लगते हैं । 

तरी वाले आलू :

आलू से तैयार होने वाला दूसरा व्यंजन आलू की तरी वाली सब्जी होती है जो प्रायः बनने वाली सब्जी से बिल्कुल अलग होती है। यह सब्जी मात्र उबले हुए आलू , टमाटर, हरी मिर्च, जीरा और सेंधा नामक डालकर तैयार की जाती है। कम मसालों से तैयार यह सब्जी कूटू की पूरी और कचोरी के साथ बहुत स्वादिष्ट  लगती है। जहां हम कितने ही  प्रकार के मसालों का प्रयोग कर अपने दैनिक जीवन मे तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं, वहीं कुछ चुनिंदा मसालों से यह स्वादिष्ट व्यंजन बनकर तैयार हो जाते हैं ।  

दही और आलू का रायता:

आलू से तैयार तीसरा व्यंजन दही और आलू का रायता होता है। उबले हुए आलुओं को दही मे मिलाकर सेंधा नमक, जीरा पाउडर और काली मिर्च का पाउडर डालकर बनाया जाता है । आलू और दही का यह मिश्रण बहुत ही लाभदायक है। 

दही :

दही में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें लैक्टोज, आयरन और फास्फोरस भी आता है।

आलू का हलवा :

आलू ही से तैयार चौथा व्यंजन आलू का हलवा होता है। इसे देसी घी मे भूनकर, इलाइची, चीनी आदि मिलाकर बनाया जाता है । इसकी सुगंध इतनी लाजवाब होती है कि भूख लगनी शुरू हो जाती है। वैसे तो इसे उपवास के समय ही खाया जाता है परंतु सर्दियों मे इस व्यंजन (डिश) को आप कभी भी बनाए और इसके स्वाद का आनंद लें। 

आलू की चाट:

आलू से बनने वाला पाँचवा व्यंजन आलू की चाट है। आलू के पतले –पतले टुकड़े काटकर घी मे तलकर उसपर सेंधा नमक, पीस हुआ जीरा और काली मिर्च डालकर परोसे। आप इसे दही और हरे धनिये की चटनी के साथ भी खा सकते हैं। यह खाने मे बहुत ही स्वादिष्ठ लगता हैं । 

कूटू 

कूटू एक प्रकार का पौधा है जिसकी खेती मुख्यतः हिमालय के कुछ हिस्सों मे की जाती है। कूटू प्रोटीन से भरपूर होता है । इसमे मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, जिंक, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस भरपूर मात्रा में होता है। यह कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करता है। यह ग्लूटेन रहित खाद्य सामग्री के अंतर्गत आता है । 

कूटू के आटे से बने व्यंजन :

कूटू की पकोड़ी : 

कूटू के आटे मे आलू काटकर सेंधा नमक, काली मिर्च का पाउडर, जीरा पाउडर आदि मिलाकर घी मे तलकर इसके करारे पकोड़े बनाए जाते है। खाने मे यह  कुरकुरे  पकोड़े बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं।  दही के साथ इनका स्वाद और भी बढ़ जाता है । 

कूटू की पूरी :

कूटू के आटे से पूरी भी तैयार की जाती है। जो खाने मे बहुत मजेदार लगती है। कूटू के आटे  से तैयार पूरी आम पूरी की तरह ही होती है और आलू की व्रत वाली सब्जी के साथ यह बहुत ही स्वादिष्ट लगती हैं । 

कूटू की कचोरी : 

कूटू की कचोरी उबले हुए आलू को कूटू के आटे मे मिलाकर तैयार की जाती है। सही अनुपात मे आलू और कूटू के आटे मे हरी मिर्च, काली मिर्च और सेंधा नमक आदि डालकर इसका मिश्र तैयार किया जाता है। अब तैयार मिश्रण को पूरी के आकार मे बेलकर घी मे तलकर बनाए। पूरियों को कुरकुरा होने तक अच्छे से तले । यह कुरकुरी कचोरी खाने मे बहुत स्वादिष्ट लगती हैं। 

समा के चावल :

समा  के चावल मे कार्बोहाइड्रट कम मात्र मे होता हैं और यह आसानी से पच जाता है। समा के चावल मे आयरन प्रचुर मात्रा मे होता है। हिन्दी मे इसे मोरधन व समा के चावल, बंगाल मे श्यामा  चावल और जंगली चावल भी कहा जाता है। संस्कृत मे इसे श्रामक कहा जाता है, मराठी मे इसे भगर और वरी के नाम से भी जाना जाता है। गुजराती मे इसे सामो या मोरियो कहते हैं । समा के चावल मे फाइबर और मिनरल्स प्रचुर मात्रा मे पाए जाते हैं 

समा के चावल से बने व्यंजन :

समा के चावल की खिचड़ी :

समा के चावल से बनी खिचड़ी बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है। खिचड़ी बनाने के लिए समा के चावल को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें । आलू के  छोटे-छोटे टुकड़े काटकर एक तरफ रख ले। अब कुकर मे घी गरम करके उसमे  उसमे जीरा डाले अब उसमे समा के चवाल और कटे हुए आलू मिल दे। इसके बाद इसमे, हरी मिर्च, स्वादानुसार सेंधा नमक और काली मिर्च आदि मिलाकर खिचड़ी तैयार करे । दही के रायते के साथ यह बहुत ही स्वादिष्ट लगती है। 

समा के चावल की खीर :

समा के चावल से बनने वाला अगला व्यंजन समा के चावल की खीर है । यह खाने मे बहुत ही स्वादिष्ट और हल्की होती है। समा के चावल को एक घंटे भिगोकर रखे, अब इसे दूध मे पकाये ।  इसके बाद इसमे स्वादानुसार चीनी मिलाकर इलाईची पाउडर , सूखे मेवा इत्यादि डालकर तैयार करें । आप इसमे केसर भी डाल सकते हैं । 

साबूदाना:

साबूदाना सफ़ेद छोटे-छोटे गोल मोतियों की तरह दिखने वाला खाद्य पदार्थ हैं। भारत में साबूदाना केवल टेपियोका की जड से बनाया जाता है, जिसे "कसावा" व मलयालम मे "कप्पा" कहते हैं साबूदाना कार्बोहाइड्रट का अच्छा स्रोत है जो शरीर मे तुरंत और आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। पेट की समस्या मे काफी उपयोगी होता है साबूदाना । साबूदाने मे पोटेशियम होता है जो रक्त संचार को बेहतर करता है । 

साबूदाने से बने व्यंजन :

साबूदाने की खिचड़ी: 

साबूदाना खिचड़ी सबसे लोकप्रिय फास्टिंग डिश में से एक है जो साबूदाना, उबले आलू, भुनी हुई मूंगफली और कुछ मसालों के साथ बनाई जाती है। यह आमतौर पर नवरात्रि या महाशिवरात्रि या एकादशी जैसे हिंदू उपवास के दिनों में बनाया जाता है। इस व्यंजन को शुद्ध देशी घी मे साबूदाना (रातभर भिगोकर रखे हुए), तले हुए आलू व उबले हुए आलू के टुकड़े, जीरा, काली मिर्च का पाउडर, स्वादानुसार सेंधा नमक आदि डालकर तैयार किया जाता है। यह खाने मे जितनी पौष्टिक होती है उतनी ही स्वादिष्ट भी होती है। 

साबूदाना वड़ा :

उबले हुए आलू , साबूदाना (रातभर भीगोकर रखा गया) , हरी मिर्च, हरा धनिया के मिश्रण मे काली पिसी हुई मिर्च, हर धनिया और स्वादानुसार सेंधा नमक डालकर टिक्की के आकार के बड़े बनाकर उनको शुद्ध देसी घी मे तलकर खाए । आप इस मिश्रण मे मूंगफली भी डाल सकते हैं। उबले हुए आलू और साबूदाने की उचित मात्र का अनुपात ही अच्छे कुरकुरे बड़े बनाने का पैमाना हैं । यह एक लोकप्रिय सात्विक महराष्ट्रीयन व्यंजन है जिसे व्रत और अन्य किसी भी अवसर पर खाया जा सकता है । 

देसी  घी :

देसी घी ओमेगा-3, ओमेगा-9 फैटी एसिड, विटामिन ए, विटामिन के जैसे पोषक तत्वों का खजाना हैं । इसका उचित मात्र मे सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होता है । इसलिए आयुर्वेद मे भी देसी घी को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताया है । 

साबूदाना की खीर : 

साबूदाने से बनने  वाला  यह व्यंजन समा के चावल की खीर की तरह ही एक मीठा व्यंजन है। इसे बनाने के लिए साबूदाने को अच्छी तरह धोए । अब इसे थोड़े से पानी मे तब तक उबाले जब तक की यह  पक न जाए , ध्यान रखे ज्यादा  उबालने से इसका घोल बन जाएगा । उबलने  के बाद  साबूदाने को दूध मे २०-३० मिनट  तक  पकाये । अब इसमे चीनी , इलाईची , केसर और मेवा  आदि डालकर  परोसे।   

उपवास में मसाले के तौर पर जीरा व जीरे का पाउडर, काली मिर्च व उसका पाउडर, हरी इलायची, लौंग, दालचीनी, अजवायन,  अनार दाना , इमली और जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

व्रत मे आप शकरकंदी, आलू, अरबी, कचालू, पालक, तोरी, घिया, खीरा, गाजर की सब्जी खा सकते हैं। 

नवरात्रि में उपवास के दौरान अपना खाना देसी घी और बादाम के तेल में बनाकर ही खाएं. आप तेल रहित खाना भी खा सकते हैं।  

उपवास से तात्पर्य ईश्वर के समीप जाने से है, जो समीपता आप उसका ध्यान करके प्राप्त कर सकते हैं। उपवास मात्र तरह –तरह के व्यंजनों का आनंद लेने का माध्यम नहीं है अपितु यह सात्विक भोजन मन मे अच्छे विचारों को उत्पन्न करते हैं जिससे आप ध्यान मग्न होकर उस ईश्वर की स्तुति कर सकें। यह व्यंजन आपको आलस और ऊबता से दूर रखते है और ईश्वर की स्तुति मे आपकी एकाग्रता को बढ़ाते हैं। 

यह उपवास के व्यंजन स्वादिष्ट होने के साथ-साथ उपवास सहायक भी हैं, यह ईश्वर की स्तुति मे हमारे सहयोगी भी हैं । 


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